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'मधुमास'-ऋतुराज बसंत - Pallavi Rani (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

'मधुमास'-ऋतुराज बसंत

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'मधुमास '-ऋतुराज बसंत
❤❤❤❤❤❤❤❤

चूनर ओढ़ कर पीली-पीली ,
आज धरा शरमायी है ।
हर्षित है चहुं ओर दिशा,
कलियों पर छायी तरुणाई है।
ऋतुराज की मोहक छवि पर
वसुधा अधीर इतरायी है ।

सौन्दर्य अलौकिक अनुपम है
हर भाव बसे अब प्रियतम हैं।
आज बासंती चोला पहने
मस्त हवा बौरायी है ।
चूनर ओढ़ कर पीली-पीली
आज धरा शरमायी है ।।

बसंत राज ने छेड़ दिए हैं,
प्रेम - गीत के मीठे तान।
रंग - बिरंगे फूलों पर यौवन
झूम उठी हर डाली है ।
प्रीत के रंग में रंग गयी सृष्टि
घुला है हर रंग में मधुमास

प्रियतम तुम भी अब आन मिलो
चहुँ ओर बजी शहनाई है ।
चूनर ओढ़ कर पीली- पीली
आज धरा शरमायी है ।।
पल्लवी रानी
मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित
कल्याण, महाराष्ट्र

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