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बसंती सपने - Madhu Andhiwal (Sahitya Arpan)

कहानीलघुकथा

बसंती सपने

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मेघा नाम के अनुरुप ही तो था उसका व्यक्तित्व । धीरे धीरे उछलती कूदती सतरंगी सपने देखती देखती कब बचपन की देहरी लांघ गयी । घर में सबकी लाडली । मेघा मेधावी छात्रा थी । स्कूल से कालिज का सफर अनेको सपनों के साथ गुजरता है। नया वातावरण होता है तब सपने भी ऊंची उड़ान पर होते हैं। ।
मेघा भी कालिज में आकर अपने भविष्य को लेकर उल्लासित थी ‌। उसी समय काकी मां ने उसके लिये एक रिश्ता खोज लिया । वह मानसिक रूप से तैयार नहीं थी पर मां पापा को रिश्ता पसंद था । तमस बहुत ही होनहार लड़का था अपने पापा के व्यापार को बहुत ऊँचाई पर लेआया था । सुदर्शन छवि मधुभाषी उसको देखकर मेघा मना नहीं कर पाई । मां पापा को तो विश्वास ही नहीं हो पा रहा था कि तमस मेघा को देखते ही हां कर देगा । तमस और मेघा दोनों बहुत खुश थे । दोनों ने बहुत सारे हसीन सपने देख लिये ।
धीरे धीरे शादी का भी दिन नजदीक आगया । सब काम उल्लासित वातावरण में हो रहा था । मेघा की विदाई का समय भी आगया । विदा होकर ससुराल पहुँची सब बहुत खुश थे । सयुक्तं परिवार था । आज मिलन की पहली रात दोनों एक दूसरे की बाहों मे आने को आतुर । जैसे ही तमस बैठा उसे अचानक बहुत तेज चक्कर आया और वह बेहोश हो गया । मेघा ने बहुत कोशिश की वह बाहर भागी और सासु मां के कमरे में पहुँच कर रोते रोते सारी बात बताई । सब अचम्भित होगये पहली बार ऐसा हुआ तुरन्त हास्पिटल के जाया गया । आई यू सी में कोई जा नहीं सकता था । मेघा बाहर एक तरफ खड़ी होकर रोती रही सब बेहाल थे । मेघा के मां पापा भी आगये । सब परीक्षण चल रहे थे । जब रिपोर्ट देखी तो सबके दिल दहल गये । मस्तिष्क में ट्यूमर था । बेहोशी हालत में ही तमस को कैंसर हास्पिटल भेजा गया । मेघा की दुनिया तो बसने से पहले ही सुनसान होगयी ।
ससुराल वालों का व्यवहार भी बदल गया । मेघा के मम्मी पापा अपने घर ले आये । समय कट रहा था । तमस का इलाज चल रहा था । जब भी मेघा ससुराल में फोन लगाती कोइ ढंग से बात नहीं करता था । मेघा अन्दर ही अन्दर टूटती जा रही थी । मां और पापा भी कुछ समझ नहीं पा रहे थे । मेघा के ससुराल वाले उसके मम्मी पापा से भी ढंग से बात नहीं करते थे ‌। ऐसा लगता था कि तमस की बीमारी शायद मेघा के कारण हुई है। आज मेघा बहुत उदास खिड़की पर खड़ी थी अचानक मोबाइल की रिंग बजी नं पहचाना हुआ नहीं था । पहले उसने सोचा पता ना कौन है । दोबारा रिंग बजने पर उसने फोन उठाया उधर से हास्पिटल से नर्स का फोन था । उसने कहा आप मेघा बोल रही हैं मेघा ने कहा जी । नर्स ने कहा कोई आपसे बात करना चाहता है। अचानक उधर से आवाज आई मेघा तुम कहां हो मै तमस बोल रहा हूँ देखो तुम्हारा तमस अब बहुत कुछ सही होगया ।सब आते हैं तुमको मेरी याद नहीं आती । मेघा कुछ बोल नहीं पाई बस रोने लगी बोली तमस मै आरही हूँ । वह बाहर आकर बोली पापा गाड़ी निकालो हास्पिटल चलो । हास्पिटल पहुँच कर वह तमस के पास पहुँच कर उसके हाथों को पकड़ कर रो उठी बोली तमस मेघा तो तुम्हारे बिना अधूरी है तुम मेरा पहला और आखिरी प्यार हो । घर वाले नाराज ना हो इसलिये मैं नहीं आई अब बस तुम सही होजाओ और वायदा करो आज जो पुष्प फिर से खिले हैं वह हमेशा खिले रहें ।
उसी समय सब लोग आगये क्योंकि डाक्टर ने सबको बुलाया और कहा कि अब तमस सही है बस कमजोरी है और कोई मानसिक तनाव नहीं होना चाहिए ।मेघा की दुनिया तो बसन्त की तरह खिल उठी ।
डा. मधु आंधीवाल

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