कविताअतुकांत कविता
विषय:---
# आया बसन्त झूम के
प्रतियोगिता
*ऋतुराज आया*
बहारें छाई, ऋतुराज आया
के दिल में उमंगे लहक रही हैं,,,
झूम झूम के, बसन्त आया
प्रेम प्यार का, मौसम है लाया
के शहनाई दिल की गूंज रही है,,,,
पलाश सरसो ने, रंग जमाया
फागुन का, न्यौता है आया
के रंगों की फुहारें बरस रही है,,,,
पीली चदरिया धरती ने ओढ़ी
सरसो की खुशबू फ़िज़ा में फ़ैली
के मयूरा मन का नाच रहा है,,,
बेला चमेली व जुही केतकी
चंपा कनेर, गुलाब मोगरा
मदमाते भँवरे बहक रहे हैं,,,
मकिया गेहूँ व ज्वार बाजरा
कच्ची पक्की हरी हैं बालियाँ
गौरैया को गोरी उड़ा रही है,,,,
बासंती चूनर लादे ना रसिया
मधुमास की बेला है आई
के दिल में अरमां मचल रहे हैं,,,
माँ शारदे हैं,विद्यादायिनी
ध्वलवस्त्रा, वीणाधारिणी
के झनकार ज्ञान की गूंज रही है,,,,
सरला मेहता