कविताअतुकांत कविता
मेरी कविताएँ
अन्तरह्र्दय के अनगिनत भावों को समेटे हुए
भाव जो सागर समान गहरे
नदियों समान चंचल
झरनों समान उत्साहित
पर्वत समान कठोर
फूलों समान कोमल
चाँदनी समान शीतल
धरती समान पवित्र
आकाश समान ऊँचे
उदासियों में मर्म छिपाए
खुशियों में पंछी समान चहचहाते
चिंतन में डूबे
जिम्मेदारियों को समझाते
बीते कल और आज के साथ आने वाले कल की आशाओं की ओर ताकते हुए
एकांत के पहलू में सुने जीवन मे
आकार प्रकार से परे
एक -एक क्षण में सौ -सौ बार जिया है मैंने मेरी कविताओं को
किंतु अपूर्ण से लगते हैं ये भावों के मोती
निराशाओं , तनावों और व्यथित ह्रदय
उसमें उपजे हर पल -पल द्रवित करते परिवर्तन
अंधेरों भरे रास्तों में
मुश्किलों से टकराते हुए
स्वयं में आत्मविश्वास भरकर
सही मायनों में
क्या मैंने जीवन को जिया है ??
हो सकता है
इन अपूर्ण भावों में
मैंने स्वयं को बार -बार असहाय और दीन पाया हो
पर आज मैं यह कह सकती हूँ इन कोरे पन्नों पर उकेरी गई
मेरी हर कविताओं ने मुझे गढ़ा है
नया रूप दिया है
सहारा अपना देकर मुझे
मेरी कुंठाओ से मुक्ति का पर्याय बन गई हैं
मेरी कविताएं