कविताहाइकु
उपासना/पूजा/भक्ति
विधा:हाइकु
ईश्वर प्रेम
अनुरक्ति, सत्संग
है अलौकिक।
डाकू वाल्मीकि
मरा-मरा कहते
थे बन गए ऋषि।
थी मीराबाई
पूजा प्रेम दीवानी
ईश्वरोपासना में।
भक्त प्रह्लाद
माना सर्वव्यापी को
बचे हरिभक्ति से।
विराट दर्श
कर्म का उपदेश
पाये अर्जुन।
शुचि विभूति
प्रभू चरण रज
उपासना करें।
हरि महिमा
बखानी न जा सके
अपरंपार ।
गीता परिहार
अयोध्या