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संवेदनाएं जागृत कर... - Rajesh Kr. verma Mridul (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

संवेदनाएं जागृत कर...

  • 185
  • 3 Min Read

कराह रही है धरा
कर रही है पुकार
हे मनुज मत कर
तु अब मेरी संघार

मैं हूं तेरी वसुंधरा
सजीवों का संचार
जीवन का प्रतिकार
प्रकृति का उपहार

संवेदना तु मारकर
हो गया है दैत्यकार
शस्त्र निज पर ही
क्यों कर रहा प्रहार

मेरी मूल विनाश कर
कर रहा तू अत्याचार
भूल को तु सुधार कर
मुझसे ही है तेरा प्रतिकार

संवेदनाएं जागृत कर
कर सबकी परोपकार
इसमें ही छुपा है तेरा
जीवन का मुल आधार

@©✍️ राजेश कु० वर्मा 'मृदुल'

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Babita Kumari

Babita Kumari 3 years ago

उम्दा रचना

Rajesh Kr. verma Mridul3 years ago

धन्यवाद महोदया।

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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प्रपोजल
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माँ
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आग बरस रही है आसमान से
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