कवितालयबद्ध कविता
वैलेंटाइन तड़का पार्ट-१
हे म्हारै राम जी , मुझे कैसा दीवाना दिया ...
गुलाब के जगह काजू दे कर प्रोपोज़ किया ...
बोला गुलाब की कली तो एक दिन में ढल जाएगी ...
काजू खा पगली कम से कम तेरी सेहत बन जाएगी ...
चॉकलेट न खाना जान , तू टेडी बियर बन जाएगी ...
उठाना चाहु तुझे लेकिन बाहों में न समा पाएगी ...
हे प्रेयसी प्रॉमिस करो खुद को मेन्टेन रख पाएगी ...
फिगर जीरो ही रखना , वरना पड़ोसन पट जाएगी ...
जानता हु तुम्हे शॉपिंग करने का तुम नया तरीका अपनाओगी
एक हग दे कर बदले में तुम मेरा बटुआ चुपके से चुरा ले जाओगी
कीस मांगता हूं तुमसे तो हमेशा बहाने बनाती है ...
सीखो पड़ोसन से कुछ , बिना कहे खुद चली आती है ...
सुन मेरी गुलाबो , असल में तो प्यार का कोई मौसम नही होता
पड़ोस वाली मायके गई है , वरना आज भी मेरा वैलेंटाइन होता ...
पड़ोसन का नाम सुन मैं आगबबूला हो गई ...
*****************************
वैलेंटाइन तड़का पार्ट -२
पड़ोसन से लढ़ाये इश्क़ , इसकी मियांजी को क्या सजा दूँ ...
गुस्सा आया बड़ा , सोचा जम के थप्पड़ और लात जमा दु ...
सोच लो जरा एक बार , आखिर में बड़ा पछताओगे ...
ऐसा न हो परफ्यूम के जगह दर्द का स्प्रे लगाओगे ...
दर्द वाले स्प्रे से मियाजी की की बॉडी महक रही थी ...
शायद काजू से बनी सेहत अब सही से असर कर गयी थी ...
मिल गया सबक या अब भी उस दिशा में भटकोगे ...
बताओ जरा क्या अब भी पड़ोसन से फ़्लर्ट करोगे ...
बोले मियांजी , मत कूट मुझे मेरी माँ , मैं तो मजाक कर रहा हूँ ...
तेरे सिवा इस जेल की जेलर नही कोई ये कन्फेस कर रहा हूँ ...
अरे मेरी जान तुम्हे तो मैं मरने के बाद भी मिस करूँगा ...
पर इतनी खूबसूरत पड़ोसन को भी इतने जल्दी कैसे भूलूंगा ...
खुदा की खुदाई से ज्यादा तो तेरी कुटाई से डरता हूँ ...
आज मैं अपनी बिन बनी गर्लफ्रैंड (पड़ोसन) से ब्रेक अप करता हूँ ...
ममता गुप्ता