Or
Create Account l Forgot Password?
कविताअतुकांत कविता
अनगिनत प्रश्न जो उपस्थित है मानवता की राह में खोजते अपने उत्तर अक़्सर दस्तक देते हैं मेरे अपने सामाजिक आवरण को आँखे भींचें , सिर झुकाएं , मौन शैली में रोटियां सेंकते , जलील होते , भेड़ चाल में शामिल बैठे रहते हैं सवालों के बेहतरीन जवाब ..!!
बेहद लाजवाब