कविताअतुकांत कवितालयबद्ध कविता
' ऑनलाइन इश्क का खुमार '
ऑनलाइन इश्क का चढ़ा खुमार,
देखो बदले रूप में प्यार।
इंटरनेट पर जुड़कर करते,
बातें मीठी बनकर यार।
पहले दिन तो हाय हेलो तक,
दूजे दिन से मत पूछो।
मैसेज भेज के कह देते हैं,
मुझको तुमसे बहुत है प्यार।।
पहले शर्मीलापन होता था,
अंदाज ए बयां इकरार ए प्यार।
नैनों से बातें होती थी,
जुबां न खुलती थी एक बार।
दिन को छोड़ो महीने जाते,
सालों तक चलता ऐसा।
कभी कभी तो उम्र बीतती,
पर इश्क का न हो पाता इजहार।।
उन दिन प्यार की उम्र उम्र तक,
आज बदलता हर क्षण पर।
कोई नहीं भाव भावना,
निज हित आगे प्यार गया मर।
' आलोक ' करे कर जोड़ निवेदन,
मत करना ऐसा प्यार तुम।
मेल नहीं यह दिलों से खेल है,
बिखरेगा तन मन संग में घर।।
-आशुतोष त्रिपाठी ' आलोक '
अयोध्या, उत्तर प्रदेश।