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वेलेंटाइन डे - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कहानीलघुकथा

वेलेंटाइन डे

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*वेलेंटाइन डे*
हाथठेला चलानेवाले की अनिंद्य सुंदरी बेटी चंपा, चंदन सा चाहने पति पाकर धन्य हो गई। सब कुछ मिल गया। छोटा सा घर, लाड़ लड़ाने वाली सासू माँ और झक सफ़ेद सी नन्दिनी गौमाता। माँ को गौ सेवा का अवसर मिल जाता है। साथ ही दूध उपले बेच हाथ में दो पैसे आ जाते हैं। और चंपा की तो मानो वो सहेली ही बन गई।
चंदन की छोटी सी पान की दुकान है। माँ ने भी सीमित साधनों में बेटे बहु को हर ख़ुशी देने का प्रयास किया। कभी दोनों को पार्क घूमने भेज दिया तो कभी किसी ढाबे पर खाना खाने।
चंपा की पसंदीदा अभिनेत्री काज़ोल की मूव्ही फ़ना लगी। चंदन कैसे मौके पर चौका लगाना चूकता। बस चंपा ज़िद ही कर बैठी, " मुझे तो वेलेंटाइन डे पर कश्मीर सैर पर ही जाना है। "
बेचारा चंदन क्या करे ? माँ झट अपनी संदूक से पाँच हज़ार देकर बोली, "बेटा, कश्मीर नहीं तू तो पचमढ़ी चला जा बहु को लेकर। " फ़िर सोचने लगी कि तीरथ का क्या कभी भी चली जाएगी।I
जैसे तैसे चंपा को मनाया। एक टूरिस्ट बस के टिकिट ला उसके हाथ में दिए। चंपा तो बस नाच नाच कर तैयारियाँ करने लगी। चार दिन के लिए पूरा बक्सा भर लिया। नाश्ते के लिए लड्डू मठरी भी तैयार।
आख़िर आज चंपा सजी धजी अपने चंदन के साथ चली म प्र के कश्मीर। खुली खिड़की से हवा के झोंके चंपा के बालों को लहरा रहे हैं। और मोगरे की वेणी की खुशबू फ़ैल रही है। चंदन सोचता है।," मेरे लिए तो वेलेंटाइन डे एक दिन पहले ही आ गया। "
सरला मेहता

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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

भावपूर्ण रचना

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