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कविताअतुकांत कविता
ना कर इतना गुमां अपनी कलम पर ए शायर कलम जब टूटती है तो फांसी चढ़ा देती है ~~ नरेश बोकण गुर्जर ~~ हिसार, हरियाणा
लाजवाब
बहुत बहुत धन्यवाद