Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
राहत हो जाए - अजय मौर्य ‘बाबू’ (Sahitya Arpan)

कवितागजल

राहत हो जाए

  • 160
  • 3 Min Read

सरकार करो कुछ ऐसा राहत हो जाए,
गरीबों की सुनने की तुम्हें आदत हो जाए।

तुम्हारे अहसान तले दबकर जीते रहेंगे हम,
कहीं ऐसा न हो कि जमानत जब्त हो जाए।

कभी तुम्हारे लिए उठे हाथ, दुआएं मांगी थी,
बद्दुआ दी तो कहीं कयामत न हो जाए।

दो साथ जरूरतमंदों का हक दिलाने के लिए,
इंसान बनो, इंसान दिखो, इंसानियत हो जाए।

छल, कपट, ईर्ष्या, अहम जरा कम करो,
वोट पड़े तो ऐसा न हो भीतर घात हो जाए।

अजय बाबू मौर्य ‘आवारा’

logo.jpeg
user-image
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
चालाकचतुर बावलागेला आदमी
1663984935016_1738474951.jpg
वक़्त बुरा लगना अब शुरू हो गया
1663935559293_1741149820.jpg