कविताअतुकांत कविता
साहित्य अर्पण एक पहल-अंतरराष्ट्रीय
प्रतियोगी आयोजन
विषयः(संवेदन)
विधाःपद्म(छंदमुक्त)
दिनांक ःः08/02/2021
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सहानुभूति के मनोभाव की,
प्राकट्य क्रिया इति संवेदना,
मानवमन अनुभूतिविहीन,
सुप्त चारु सम्वेदना।
संवेदन भाव नगण्य धरातल,
व्यथित स्वयं सम्वेदना,
संवेदना के हृदय निहित,
चैतन्यमयी शुचि वेदना।
संवेदनशील मनुज अंतर्तम,
मानवता की श्रुत भावना,
संवेदनहीन मनुज बसुधा,
नर-पशु सहित दुर्भावना।
शुचि प्रेम मात्र ही अंग अभिन्न,
मानवीय सम्वेदना का,
दिव्य युगल मानस के भाव,
प्रेम चारु सम्वेदना।
--मौलिक एवम स्वरचित--
(अरुण कुमार)
लखनऊ(उ.प्र.)