लेखअन्य
मैं अपने जज़्बात लिखूं,
या, मैं अपने हालात लिखूं।
मैंने तो मोहब्बत दिल से किया,
फिर मैं, क्यूं ? अपनी औकात लिखूं।
मोहब्बत की शुरुआत लिखूं ,
या उसकी बातें खास लिखूं।
पर जो चोट लगी है दिल पर आज ,
इस दिल की, क्या मैं बात लिखूं।
अब ना कहना कुछ अच्छा है,
ना लिखना कुछ अच्छा है।
हर गम को छुपा कर सीने में,
ख़ामोश ही रहना अच्छा है।
- आकाश त्रिपाठी (जानू)