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कवितागजल
मोहब्बत की कुछ बूंदें, यूँ ही लुटा देता हूँ मैं। उसके हर सितम को, हस कर भुला देता हूँ मैं | माना की उसे गुरूर है, अपने हसीं होने का.. दिल की प्यारी बातों से, दिल फिर भी चुरा लेता हूँ मैं।। - आकाश त्रिपाठी (जानू )