कविताबाल कविताअन्य
भर दोपहरी नंगे पाँव
तितलियों के पीछे भागना..
झरबेरी के खट्टे मीठे
बेर चुन चुन कर लाना..
गांव की पगडंडियों पर
दौड़ लगा जाना..
साँझ होते ही मंदिर में
आरती को जाना..
रातें छतों पर तारे
गिन गिन कर बिताना..
लूडो की बाज़ी,, अंताक्षरी में
गीतों को गुनगुनाना..
वक़्त को भूल सबका
एक छत पर इकट्ठे हो जाना..
बचपन कितना मासूम था
ओ वो गर्मी की छुट्टी का ज़माना..
स्वरचित -प्रियंका गहलौत (प्रिया कुमार )©
बहुत खूब
अनंत धन्यवाद neha ji
अनंत धन्यवाद neha ji