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संरक्षण(तांका) - Gita Parihar (Sahitya Arpan)

कविताअन्य

संरक्षण(तांका)

  • 145
  • 3 Min Read

विधा:तांका
शीर्षक:संरक्षण
१.
जल की कमी
प्रकृति का दोहन
ये प्रदूषण
मानव का अस्तित्व
अब असुरक्षित।
२.
पर्यावरण
चाहता संरक्षण
अत्यावश्यक
सीमित संसाधन
वैकल्पिक व्यवस्था।
३.

हो संस्कृतियां
सुरक्षित औ स्थिर
परम्पराएं
स्वीकृत- संवर्धित
औ लघु जनसंख्या।
४.

निर्झर धारा
अविरल नदियां
घने जंगल
ये पठार-पहाड
बचा लो प्रकृति को।

गीता परिहार
अयोध्या

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