कवितालयबद्ध कविता
शीर्षक-जनवरी 26 सन् 21
जब वर्ष 49 की जनवरी आई
गणतंत्र का गहना लाई
अनघ दिये इसने अधिकार
नव ऊर्जा का हुआ संचार
राह में जितने थे गतिरोध
पुराचीन दुर्लभ प्रतिरोध
शमन हुआ और निकला शोध
बढें निरंतर बिन अवरोध
हर साल की जनवरी 26 आती
वार्षिक आयोजन संग लाती
लाल किले पर ध्वज फहराती
हर्ष ,उमंग,उत्सव मनवाती
राष्ट्रपति जब देते भाषण
ऊर्जा ,जोश का दे उद्घोषण
नव चेतन उल्लासित मन से
करते निज भारत अभिनंदन
इंडिया गेट अमर ज्योति जवान
पर अर्पण करे श्रृद्धा सुमन
मौन धार कर कुछ पल क्षिण का
शहीदों को कर शत शत नमन
बलिदानों का है ये चंदन
क्रूर काल का थम गया क्रंदन
संकट छटा मिटा स्पंदन
भारत माता को है वंदन
सबसे बङी है यह सौगात
भारत का गणतंत्र महान
विरद् रूप में बना विशाल
लोकतंत्र इसकी पहचान
संचालक इसका संविधान
कठिन डगर मंजिल आसान
हम सबकी बन गया ये शान
गणतंत्र का गायें गुणगान
समय बीत गया है जुल्मों का
भोर की लाली मुस्काती है
सूर्य उगा है प्रजातंत्र का
पक्षी चिङिया चहकाती है
भेदभाव और जात पात की
आज हुई है बात पुरानी
प्रकट रहे वोटों के दम से
जनतंत्र के राजा-रानी
तख्त सभी का ताज सभी का
राज सभी का काज सभी का
कोई नहीं है गैर हिंद में
सकल समस्त समाज सभी का
नव भारत का है आगाज़
नये पंख और नयी परवाज़
पीत हरित विध फूलों से सज
मुस्काते आये ऋतुराज
नूतन परिधान बसंती रंग का
भारत मां ने पहना आज
नवल नवेली दुल्हन बनकर
नख से शिख तक किया है साज
जन-जन करता है जयगान
गूंज उठा चहुँ दिस यशगान
भिन्न-भिन्न रंगों से मिश्रित
पहना भारत ने परिधान
अक्षुण्ण भारत की अखंडता
तिल भर आये न इस पर आंच
हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई
सब है एक ये नारा सांच
गणतंत्र दिवस पर करते गर्व
आजादी की विजय का पर्व
लोकतांत्रिक इसका मर्म
धरती पर उतरा है धर्म
सन् 2020 जब आया
सबने उसे सहर्ष अपनाया
चाइना ने जग को चकराया
कोरोना बन काल जो आया
मानव मानव से घबराया
द्वार देवों का बंद करवाया
थल जल नभ सबको थमाया
कोई भी कुछ ना कर पाया
बेबस जन बेबस हुई दुनिया
मायूसी का मंजर छाया
निराशा के बादल को चीरता
मोदीजी महादेव का साया
पूरे देश को बंद करवाया
सोशल को डिस्टेंस बनाया
अपने घर में रहो सुरक्षित
जारी यह फरमान कराया
कठिन डगर को सरल बनाकर
देवी-देवों को मनवा कर
पूरे वर्ष की कङी तपस्या
सन् 21 नव आशा लाया
भय खौफ मातम को भगाया
भारत ने कोविड को हराया
बजरंग लाये पुनः संजीवनी
श्री राम ने रावण फिर से मिटाया
फिर से लंका विजय श्री पाया
मोदीजी ने कमाल दिखाया
नामुमकिन मुमकिन करवाया
डटे रहे डाक्टर ज्यों देवता
मंथन करके वैक्सीन पाया
शिव ने पुनः गरल गटकाया
दृढ निश्चय साहस के बल पर
नभ में तुमुल निनाद गूंजाया
विजय घोष का ध्वज फहरा कर
वैक्सीन लाकर जगत बचाया
सन् 21 का आया गणतंत्र
कोरोना से हुए स्वतंत्र
गूंज उठा जय घोष का मंत्र
रामराज ही रहे अनंत।
सपना यशोवर्धन व्यास 😍🌑🙏