कविताअतुकांत कविता
शीर्षक- देश मेरा महान है
हर जन गाता जहाँ जन-गण-मन का गान है,
देशों में देश निराला मेरा भारत देश महान है।
वीर सपूतों की कर्मस्थली यह, देशप्रेम में बसते जिनके प्राण हैं,
प्रहरी बन खड़े सरहदों जो वीर जवान उनको शत-शत प्रणाम है ।
बनकर मुकुट पर्वतराज हिमालय मस्तक पर इसके सजता है,
चरणों तले लहराता सिंधु धन्य स्वयं को करता है ।।
गंगा-यमुना- सरस्वती का त्रिवेणी संगम पावन धरा को करता है, वन- उपवन, गिरि-गह्वर, द्रुम-लताएं करती इसका श्रृंगार हैं । गिरते झरने, कल-कल करती नदियाँ, मधुपों का गुंजन,
पक्षियों का कलरव सब मधुर प्रणय का गान हैं।।
देशों में देश निराला मेरा भारत देश महान है..........
ऋषि- मुनियों की धर्मभूमि, वीरों की है ये कर्मभूमि,
हर देशवासी के दिल में मातृभूमि का प्रेम पनपता है ।
रंगरूप-वेशभूषा-भाषा अनेक, बांध मुट्ठी हो जाते सब एक,
वसुधैव कुटुम्बकम् का पोषक, प्रेमरस यहाँ छलकता है।।
जाने कितने वीरों की गाथाओं से बढ़ता इसका मान है,
देशों में देश निराला मेरा भारत देश महान है.......
हर जन गाता जहाँ जन-गण-मन का गान है......
मौलिक/स्वरचित.
डॉ यास्मीन अली
हल्द्वानी ,उत्तराखंड।