Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
भारत का बेटा हूँ मैं - Gaurav Shukla (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

भारत का बेटा हूँ मैं

  • 234
  • 4 Min Read

बैठ कर सब कुछ देख रहा हूँ मैं,
उभरते भारत की राजनीति से ख़ुद को समेट रहा हूँ मैं,
धर्मनिरपेक्षता,
लोकतांत्रिका का समर्थन लेखा हूँ मैं,
हाँ,
एक सितारे की तरह भविष्य के चाँद का चहेता हूँ मैं,
फिर,
क्यों न कहूँ.....
भारत मां का बेटा हूँ मैं,
बांट दिया देश को,
लूट लिया प्रदेश को,
नज़रबन्द,
कैद सा ख़ुद के घर में,
खुली आँखों से राजनीति को देखा हूँ मैं,
भुरभुरी इरादों का,
रेत के बालू सा गर्म,
फिर भी पड़े बंजर ज़मीन के सपनों को मिट्टी से सँजोता हूँ मैं,
हां,
भारत मां का बेटा हूँ मैं...
तिरंगों के तीन रंगों से रंगा एक कपड़े में लपेटा हूँ,
शरीर पड़ी है सरहद पर ,
एक सुकून की नींद लेकर लेटा हूँ मैं,
भारत मां का बेटा हूँ मैं...

IMG-20210126-WA0005_1611727563.jpg
user-image
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg