कविताअतुकांत कविता
# एक दीया शहीदों के नाम
26,1,21
प्रतियोगिता
सौगात तिरंगे की
सरहदों के पहरेदारों
हिन्द के ओ सूरमाओं
सौप कर हमको तिरंगा
वो सितारे बन गए हैं
केसरी बाना पहनकर
कफ़न अपना ही सजाए
माँ बहन और सजनी मिलके
विजय टीका है लगाए
तिरंगे की शान खातिर
खुद निछावर हो गए हैं
सौप आज़ादी हमें वो
अंतिम सफ़र पर चल पड़े
खुश रहो भारत के वासी
ये सभी से कह गए वो
शोर अब सब बंद कर दो
वीर प्यारे सो रहे हैं
कारगिल के ओ शहीदों
सौरभ विक्रम नचिकेतों
क़ुरबां हुए प्यारे हज़ारों
माँ का आँचल सूना करके
पिता के कांधों पे सोए
ओढे तिरंगा जा रहे हैं
सरहदों के पहरेदारों
हिन्द के ओ सूरमाओं
सौप कर हमको तिरंगा
वो सितारे बन गए हैं
सरला मेहता