कहानीसामाजिकप्रेरणादायक
'कन्या पूजन'
मां के देहांत के बाद बाबूजी ने वह गांव छोड़ दिया, हम दोनों भाई बहन को लेकर बाबूजी नए गांव आ गए ,जहां हमने नए सिरे से अपनी जिंदगी शुरु की| साल भर बाद तुम्हारे दादा जी के साथ मेरा लग्न हुआ, एक नई जिंदगी में मेरा प्रवेश तो हुआ ,पर पिछली बातें मेरे दिमाग में जैसे घर कर गई |"एक अबला एक कमजोर लड़की इस समाज का सामना कैसे कर सकती है ,इन वहशी दरिंदों से कैसे लड़ सकती है, यह सब नामुमकिन है इससे तो अच्छा है कि लड़कियों का जन्म ही ना हो, ताकि उन्हें कोई तकलीफ कोई दुख का सामना ना करना पड़े"| यह सब कहते कहते शांति देवी रोने लगी, फिर आगे कहा "-गुड़िया मैं तुमसे नफरत नहीं करती, पर मन ही मन डरती थी, तुम नाजुक सी, प्यारी सी कैसे वहशी दरिंदों का सामना कैसे करोगी,कैसे सहोगी वह सब कुछ जो मैंने सहा ,नहीं बेटा आसान नहीं है ,एक लड़की होना , और इसीलिए मैंने तुमसे पहले अपनी 4 पोतियों को, जन्म नहीं लेने दिया, दुनिया में आने से पहले ही उन्हें मरवा दिया और शांति देवी रोने लगी|
गुड़िया ने गुस्से में कहा "-दादी आपने कैसे सोच लिया हम कमजोर हैं ,अबला है ,नहीं दादी हममें समाज से और वहशी दरिंदों से लड़ने की पूरी क्षमता है,," गुड़िया की बात पूरी भी नहीं हुई थी ,शांति देवी ने बीच में ही कहा "-हां गुड़िया अब मैं यह समझ चुकी हूं, जब स्कूल अध्यापक को तुम ने पीटा था तब पहली बार मैंने नारी शक्ति का एहसास किया था ,अब मैं यह समझ चुकी हूं ,ना नारी अबला है ,और ना ही कमजोर है, अपने साथ हुए अन्याय से लड़ने की एक लड़की में पूरी क्षमता है ,मैं गलत थी मेरी गुड़िया मुझे माफ कर देना|
महीने भर बाद आज फिर नवमी है सब ने मां दुर्गा की पूजा की ,और आशीर्वाद लिया | शांति देवी ने चार अलग से दीपक जलाएं और इस बार एकांत में नहीं सबके साथ , चार दीपक को भोग लगाया गुड़िया ने पूछा "-दादी यह चार दीपक मेरी चारों बड़ी बहनों के नाम से आप लगाते हो ,"आंखों में आए आंसुओं को पोछते हुए शांति देवी ने कहा "-हां गुड़िया"| शांति देवी मन ही मन अपनी 4 पोतियों से क्षमा मांग रही थी| पूजन के बाद शांति देवी ने कन्याओं को भोजन कराया उनकी पूजा की और आशीर्वाद लिया |शांति देवी आज खुश थी पहली बार उनका कन्या पूजन सफल जो हुआ था |
(दोस्तों हमारा कन्या पूजन कितना सफल है हमें देखना है समाज से कुरीतियां और बुराइयों को दूर करना है आने वाली पीढ़ी के लिए अच्छे समाज की रचना करनी है जहां हमारी बेटियां खुलकर सांस ले सके ताकि हमारा कन्यापूजन सफल हो सके)
दोस्तों कहानी कैसी लगी जरूर बताइएगा आशा करती हूं आप सभी को कहानी पसंद आए आप मुझे लाइक और फॉलो भी कर सकते हैं |
स्वरचित कहानी
टीना सुमन