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शीत के दोहे - Priyanka priya Mishra (Sahitya Arpan)

कवितादोहा

शीत के दोहे

  • 193
  • 3 Min Read

जनवरी महीने के दोहै(शीत के दोहे)


सारा आँगन खिल उठा,बदला ऋतु ने रूप,
लगती है मनभावनी, जाड़े की यह धूप।

कुहरा-सा जीवन हुआ, किन्तु धूप-सी आस
लगती प्रिय-सी गुनगुनी,नित्य बुझाती प्यास

तन-मन चंगा हो गया, किया दवा का काम
शीत सुबह की मधुबनी,और सुनहरी शाम

अलसाई-सी धूप मैं,तुम फागुन की शाम
दे जाते हो चैन-सुख, मुझे सजन बेदाम

सबको ही पावन लगे, कभी न बदले रूप
जाति-धर्म में भेद कब,करती स्नेहिल धूप

प्रियंका प्रिया मिश्रा

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Vinay Kumar Gautam

Vinay Kumar Gautam 4 years ago

बेहद शानदार

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 4 years ago

👌🏻👌🏻

प्रपोजल
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