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कुछ बहके हुए ख्याल - Mamta Gupta (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

कुछ बहके हुए ख्याल

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  • 4 Min Read

~~~कुछ बहके हुए ख्याल~~~~~

कुछ खोए हुए से ख्वाब थे कुछ सोए हुए अहसास थे...
आज चली न जाने कैसी हवा,कुछ बहके हुए ख्याल थे...

जब देखा था उसे मैने पहली बार,हम दोनों के बीच हुई तकरार..
देखकर उसके कंपित अधरो को दिल होने लगा बेकरार..

उसके मासूम से चेहरे को देख दीवाना सा हुआ...
उसकी नशीली आँखों का नशा कुछ ऐसा हुआ....

मैं! तो बिन पिये ही बहकने लगा...
उसका जादू सिर चढ़कर बोलने लगा..

बस दिल ही दिल मे उसको चाहने लगा।
प्यार के इजहार करने का मन करने लगा।

लेकिन जैसे ही बढ़े मेरे कदम थोड़े डगमगाने लगे....
रुक जा ए -दिले-नादान बस यही कहने लगे...

कही इश्क चक्कर मे दोस्ती खत्म ना हो जाये,
वो मुझसे रूठ कर कही दूर ना चली जाए।।

दिल ही दिल मे यह डर मुझे सताने लगा...
कुछ बहके हुए ख्याल से दिल वापस लौटने लगा...

ममता गुप्ता

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