कविताअतुकांत कविता
पराक्रम दिवस
जन्मदिन है नेताजी का
दिवस पराक्रम कहलाया
देश विदेशों में जा जाकर
भारत का झंडा लहराया
अग्रणी थे वे गरम दल के
फ़िर भी बापू के सहयोगी
ख़ुद के दम पर बहादुर ने
क्रान्ति-बिगुल बजाया था
दक्षिण-पूर्व एशिया पहुँचे
जापान से सहयोग मिला
नेताजी थे सेनापति प्रथम
आज़ाद सरकार कहलाई
चालीस हज़ार सैनिकों से
आज़ाद हिंद फ़ौज बनाई
महिलाओं की टोली आई
दुर्गा देवी के मार्गदर्शन में
गुपचुप भेष बदलते रहते
आज़ादी के सब ये दीवाने
देशभक्ति के भाव फैलाते
हथियार व फंड जुटाते थे
ईंट का ज़वाब पत्थर से
देना है सबको सिखा गया
खून के बदले में आजादी
का सबक हमें वो दे गया
जयहिंद नारा गुंजा करके
अंतिम सफ़र पे चल दिया
सरला मेहता