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किसान - कुलदीप दहिया मरजाणा दीप (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

किसान

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गर्दन कटे या बहे लहू
इस बात का गम नहीं,
*****
झुका सके हमें कोई
इतना किसी में दम नहीं,
*****
मिट्टी में सोना उगाते हैं
ये हक़ीकत है, भ्रम नहीं
*****
ये हक़ की लड़ाई है
कोई मैदान-ए-जंग नहीं,
*****
हम अन्नदाता किसान हैं
किसी फ़ौलाद से कम नहीं।
*****
कुलदीप दहिया "मरजाणा दीप"

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