कहानीप्रेरणादायक
यह आजकल की छोरियां,,, दूसरा और आखरी भाग
एक महीने बाद सूरज की कंपनी बंद हो गई, कंपनी बंद होने से सूरज घर पर बैठ गया ,,अब घर की सारी जिम्मेदारी मुस्कान पर आ गई, घर का राशन ,पानी ,बिजली सारा खर्च मुस्कान अपनी सैलरी से उठाती, इन सारी मुसीबतों के बावजूद मुस्कान ने कभी भी सूरज या फिर अपने सास-ससुर को कुछ भी नहीं कहा, मुस्कान तो हमेशा सूरज का हौसला बढ़ाती ,,,शोभा जी भी यह सब देख रही थी अब शोभा जी को मुस्कान का काम करना बुरा नहीं लगता ,,,,,
अभी एक मुसीबत दूर नहीं हुई थी उस पर दूसरी मुसीबत आ गई ,,,सूरज घर पर नहीं था नौकरी ढूंढने के सिलसिले में दूसरे शहर गया हुआ था ,तभी अचानक किसी ने घर पर फोन किया शोभा जी ने फोन उठाया"" सूरज के पापा का एक्सीडेंट हो गया है और कोई उन्हें लेकर हॉस्पिटल गया है ,जल्द से जल्द शोभा जी को हॉस्पिटल बुलाया गया,,, अब शोभा जी सोच में पड़ गई बेटा यहां पर है नहीं ,रुपया पैसा घर में है नहीं कैसे काम होगा , शोभा जी ने मुस्कान को फोन लगाया ""मुस्कान तुम्हारे पापा का एक्सीडेंट हो गया है जल्दी से हॉस्पिटल पहुंचे ",,शोभा जी और मुस्कान जल्द से जल्द हॉस्पिटल पहुंचे,, डॉक्टर ने कहा ""हाथ और पैरों की हड्डी टूट चुकी है ,जितना जल्दी हो सके कृपया पैसे का इंतजाम कर लीजिए ऑपरेशन करना पड़ेगा "",,सूरज की नौकरी छूटे 6 महीने हो चुके थे, ऐसे में घर में एक पाई नहीं थी ,, ऑपरेशन कैसे होगा, यह सब सोचकर शोभा जी परेशान थी?? तभी मुस्कान ने कहा ""मम्मी जी आप परेशान मत होइए मैंने अपनी एक FD करवा रखी है, जिसमें मैं और सूरज पहले अपनी अपनी तनख्वाह से कुछ रूपए जमा करवाते थे, तकरीबन ₹500000 होंगे आप चिंता मत कीजिए सब ठीक हो जाएगा ""मुस्कान ने FD से हॉस्पिटल का सारा खर्चा, दवाई ,ऑपरेशन का खर्चा, सब कुछ चुकाया,,, सूरज को फोन किया उसे 3 दिन लगेंगे आने में, इन 3 दिनों तक मुस्कान को ही सबकुछ संभालना था,, ऑफिस से छुट्टी ली घर का और हॉस्पिटल का सारा काम संभाला ,,साथ ही मां-बाबूजी की देखभाल का सारा जिम्मा भी बखूबी निभाया, एक हफ्ते बाद बाबू जी घर पर आए,, शोभा जी को पढ़ना लिखना नहीं आता ऐसे मैं बाबूजी को दवाई देने का जिम्मा ,हॉस्पिटल लाना ले जाना,, और साथ ही एक्सरसाइज ,, सारी जिम्मेदारी मुस्कान ने अपने कंधों पर ले ली ,और बड़ी ही समझदारी और कुशलता से सारी जिम्मेदारी निभाई ,साथ ही घर के काम भी किए,,, मुस्कान को जिम्मेदारी के साथ सभी काम करते देख अब सूरज के मां-बाप को भी समझ में आने लगा था ,पढ़ना- लिखना ,नौकरी करना ,घर और बाहर की जिम्मेदारी उठाना ,आजकल की लड़कियों के लिए शौक से बढ़कर ,जरूरत बन चुका है,,, जिस हिसाब से समय बदल रहा है वक्त बदल रहा है ,,अब हमें भी बदलना है और वक्त के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना है,, तभी हम अपने आप को सफल बना पाएंगे,,
तकरीबन 2 महीने बाद सूरज"- मां बाबूजी आप लोगों के लिए खुशखबरी है मुझे नौकरी मिल गई है, अब आप चिंता मत कीजिए सब ठीक हो जाएगा, और अगर आप कहेंगे तो मुस्कान भी अपनी नौकरी छोड़ देगी,". तब मां बाबूजी ने कहा ""सूरज हमें अपनी गलती का एहसास हो चुका है बहू को अपनी नौकरी छोड़ने की कोई जरूरत नहीं है ,तुम दोनों कमाओ और अपनी गृहस्थी को चलाओ,, तुम लोगों की खुशी में ही हमारी खुशी है, और अब बहू पर किसी भी तरह की कोई बंदिश नहीं है ,वह जैसे चाहे वैसे रह सकती है,, हम समझ चुके हैं अब वक्त बदल चुका है और हमें वक्त के साथ ही बदलना है,,,,,,,
टीना सुमन