कवितागजल
ग़ज़ल
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यूं नज़र से न खुद को गिराया करो।
न मुहब्बत मेरी आजमाया करो।
हक़ीक़त में मिलना तो मुमकिन नहीं।
कभी ख्वाबों में ही मिलने आया करो।
लोग हाथो में फिरते हैं ले कर नमक
ज़ख़्म दिल का न सबको दिखाया करो।
बात कुछ भी न था उठ वो चल दिए।
ऐसी गुस्ताख़ी से बाज आया करो।
नींद आंखो की दिल का सकूं ले गए।
वक्त बे वक्त न याद आया करो।
फ़लसफ़ा इश्क का यूं निभाया करो।
है मुहब्बत तो खुल के बताया करो।
राज हमसे छुपाने से क्या फ़ायदा।
हम तुम्हारे सनम मान जाया करों।
आपका वक्त हमसे भी है कीमती।
चन्द पल के लिए ही आ जाया करो।
हम तेरे हैं सनम उम्र भर के लिए।
दिल हमारा न यूं तुम दुखाया करो।
मणि बेन द्विवेदी