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चतुस्पदी - Maniben Dwivedi (Sahitya Arpan)

कविताचौपाई

चतुस्पदी

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नहीं भूल सकती हंसी वो नज़ारे।
वो लम्हे जो इक दूजे संग में गुजारे।
आबाद हो तेरी खुशियों की दुनियां।
मेरा क्या है हम तो हैं उल्फत के मारे।

** मणि बेन द्विवेदी

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