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कन्या पूजन( चौथा भाग) - teena suman (Sahitya Arpan)

कहानीसामाजिकप्रेरणादायक

कन्या पूजन( चौथा भाग)

  • 235
  • 17 Min Read

'कन्या पूजन'
(कहानी)

अब तक आपने पढ़ा शांति देवी कैसे बेटियों से नफरत करती है |शांति देवी और बसंत मामा बातें कर रहे थे और उनकी बात कमरे के बाहर कोई सुन रहा था कौन था |

आगे कहानी में क्या हुआ जाने इस भाग में ,,, ,,

शांति देवी और बसंत मामा आपस में बातें कर रहे थे तभी लाउडस्पीकर से उन्हें एक संदेश सुनाई देता है," गुड़िया और पूरे परिवार को मंच पर बुलाया गया है कृपया आप सभी मंच के पास पधारें "|शांति देवी बसंत मामा से कहती है"- बसंत इस बात का पता किसी और को नहीं चलना चाहिए, और अभी गुड़िया के सम्मान समारोह में चलना है"|

सारे घर वाले मंच के समीप आ के प्रथम पंक्ति में बैठ जाते हैं| गांव वालों का उत्साह देखते ही बनता है ,आखिर हो भी क्यों ना उनके गांव की गुड़िया आज इतनी सफल जो है |सभी उसको आशीर्वाद देने के लिए यहां एकत्रित हुए हैं |गांव के आला अधिकारी गुड़िया को स्टेज पर आमंत्रित करते हैं, गुड़िया को माला पहनाई जाती है और उसका सम्मान किया जाता है| बाकी सारे दर्शक तालियां बजाकर उसका स्वागत करते हैं ,एक सरकारी अधिकारी ने गुड़िया को बोलने के लिए माइक दिया ,और उससे पूछा"- अपनी कहानी और आपका यहां तक पहुंचने का सफर ,और किसको आप इसका श्रेय देना चाहती है कृपया हमें बताएं "|

गुड़िया ने बताया, किस तरह उसने अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी की, मार्शल आर्ट सीखा, कॉलेज गई और कैसे उसने आईएएस परीक्षा पास की, और आज इस मुकाम पर है ,अपने पूरे परिवार को उसने धन्यवाद कहा जो उसकी सफलता में सम्मिलित है, पर बोलते-बोलते अचानक गुड़िया रुक गई ,गुड़िया की आंखें भर आई और उसने कहा "-मेरी सफलता में एक शख्स और है जो कभी मेरे सामने नहीं आया ,जिसने कभी यह नहीं बताया कि वह मुझे कितना चाहता है ,ना ही कभी मुझे एहसास होने दिया कि मैं उसके लिए क्या हूं ,जिसने हर पल ,कदम- कदम पर मेरा साथ दिया ,पर एक फ़रिश्ते की तरह, वह कोई और नहीं मेरी दादी है "|गुड़िया का इतना कहना था ,सभी लोग अचंभित हो गए ,और साथ ही शांति देवी और बसंत मामा भी| गुड़िया ने आगे कहा "यह सच है मेरी दादी मुझे जान से भी ज्यादा चाहती हैं ,मेरी स्कूल की फीस ,कॉलेज के एडमिशन की फीस ,मेरी हर जरूरत को मेरी दादी में पूरा किया है ,दादी आप सोच रही होगी मुझे कैसे पता ,मैंने आपकी और बसंत मामा की सारी बातें सुनी है" , शांति देवी की आंखों से अश्रुधारा बह निकली |

बसंत मामा की आंखें भी नम हो चुकी थी ,तब गुड़िया ने दादी को स्टेज पर बुलाया| शांति देवी स्टेज पर गई गुड़िया को सबके सामने गले लगा लिया ,प्यार से गुड़िया का माथा चुम्मा ,और ढेरों आशीर्वाद देती रही |कार्यक्रम खत्म हुआ सब घर पर आ गए, परिवार वालों के मन में अभी भी कुछ सवाल थे, जिनके जवाब वह शांति देवी से चाहते थे|

घर पर आने के बाद गुड़िया ने शांति देवी से पूछा"- दादी आपने कभी मुझे एहसास नहीं होने दिया , मुझे कितना चाहती हो मेरे लिए इतना कुछ कर रही है ,क्या मैं इसकी वजह जान सकती हूं ?

शांति देवी ने कहा "-नहीं गुड़िया मैं तुम्हें वजह नहीं बता सकती, यह मेरी पीड़ा है जो हम किसी के साथ नहीं बांटना चाहती"| बड़ी बहू बोली "-अम्मा जी क्या हम आपके अपने नहीं हैं ,अापने हर सुख दुख में हम सबका साथ दिया है, तो हमारा भी फर्ज है ,आपका साथ देना, आप हमें बताइए आखिर बात क्या है ?बसंत मामा ने कहा "-जीजी इतने सालों से सारा दुख तकलीफ आप अपने अंदर समाए हुए हैं ,आखिर यह परिवार आपका ही तो है, और आप कहती है ना अपनों के साथ है दुख बांटने से कम हो जाता है"|

शांति देवी ने कहा"- सत्य! बसंत मैं इतने सालों से अपना दुख अपनी तकलीफ, अपने ही परिवार से छुपाए हुए घुट-घुट कर जी रही थी ,पर !अब नहीं ,गुड़िया मेरी यह तकलीफ आज की नहीं है।

आखिर क्या कारण था अम्मा जी के इस तरह के बर्ताव का जानेंगे अगले भाग में

दोस्तों कहानी कैसी लगी जरूर बताइएगा आशा करती हूं आप सभी को कहानी पसंद आए आप मुझे लाइक और फॉलो भी कर सकते हैं |

स्वरचित कहानी
टीना सुमन

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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

अद्भुत

दादी की परी
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