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वेदना... - अजय मौर्य ‘बाबू’ (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

वेदना...

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वेदना...

मानवीय संवेदनाओं को
अपनी अतृप्त लेखनी से
व्यक्त कर समेटता हूं
ढेर सारी शाबाशी
खुश होता हूं
पाकर प्रशस्ति-पत्र
गड़गड़ाहट सुन तालियों की
प्रफुल्लित होता हूं
लेकिन
कोई नहीं सोचता
सोता था
रचना पात्र जिस जगह पर
उसी जगह पर क्यों सोता है......

अजय बाबू मौर्य ‘आवारा’

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