कवितागजल
#इकरार
आपसे इकरारे- मोहब्बत हमें करना है अब तो,
चेहरा लेकर हाथों में दीदार करना है अब तो ।
ग़र ना मिले आप तो क्या करेंगे इस जहां का,
ना जी सकेंगे बिन आपके हमें मरना है अब तो।
कैसे सहे शबे- ग़म बेदर्द चांदनी जलाती है हमें,
फूंक देगी हमें चांदनी चांद से डरना है अब तो।
दे दी जो इज़ाजत हमें शरीक-ए-ज़िन्दगी बनने की,
आप की मांग को हमें तारों से भरना है अब तो ।
मिल गए आप हमें कोई वास्ता नहीं जहां से अब,
मौत को भी गले लगाने से हमें मुकरना है अब तो।
आपने जगा दी जो इश्क की चिंगारी इस दिल में,
आपको पाने के लिए हद से गुज़रना है अब तो।
मयखाना जो बना लिया आपने अपने ही कूचे में,
*प्रेम को तो आपके ही कूचे में ठहरना है अब तो ।
प्रेम बजाज,
जगाधरी ( यमुनानगर)
सुंदर
Ji shukriya 🙏
जी शुक्रिया 🙏