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#इकरार - Prem Bajaj (Sahitya Arpan)

कवितागजल

#इकरार

  • 185
  • 4 Min Read

#इकरार



आपसे इकरारे- मोहब्बत हमें करना है अब तो,
चेहरा लेकर हाथों में दीदार करना है अब तो ।

ग़र ना मिले आप तो क्या करेंगे इस जहां का,
ना जी सकेंगे बिन आपके हमें मरना है अब तो।

कैसे सहे शबे- ग़म बेदर्द चांदनी जलाती है हमें,
फूंक देगी हमें चांदनी चांद से डरना है अब तो।

दे दी जो इज़ाजत हमें शरीक-ए-ज़िन्दगी बनने की,
आप की मांग को हमें तारों से भरना है अब तो ।

मिल गए आप हमें कोई वास्ता नहीं जहां से अब,
मौत को भी गले लगाने से हमें मुकरना है अब तो।

आपने जगा दी जो इश्क की चिंगारी इस दिल में,
आपको पाने के लिए हद से गुज़रना है अब तो।

मयखाना जो बना लिया आपने अपने ही कूचे में,
*प्रेम को तो आपके ही कूचे में ठहरना है अब तो ।


प्रेम बजाज,
जगाधरी ( यमुनानगर)

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Vinay Kumar Gautam

Vinay Kumar Gautam 3 years ago

बहुत खूब

Prem Bajaj3 years ago

Ji shukriya

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

सुंदर

Prem Bajaj3 years ago

Ji shukriya 🙏

Prem Bajaj3 years ago

जी शुक्रिया 🙏

प्रपोजल
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