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नया वर्ष - Dr. Rajendra Singh Rahi (Sahitya Arpan)

कविताअन्य

नया वर्ष

  • 152
  • 4 Min Read

नया वर्ष...

नया वर्ष हो सुखद कामना
करें आज सारे जन मिलकर
कर्म करें इस तरह सतत हम
महके पुष्प चतुर्दिक खिलकर..

दूर कलुषता भाव हृदय से
निर्मल हो मन सबका जग में
गिरे नहीं ठोकर खाकर अब
कोई भी इस जीवन मग में ...

क्षणिक स्वार्थ में भूल न जायें
हम अपना इतिहास पुरातन
सिर्फ दिखावे में हम आकर
दिखे नहीं इतने अधुनातन ..

करें मूल्य का संरक्षण हम
जिससे जीवित रहे सभ्यता
यह मिट्टी में अपना गौरव
युग से हमको मिली भव्यता ...

सूर्य, चन्द्रमा, चांद, सितारे
करते थे जो सदा प्रशंसा
देव, दनुज अपना पग धरने
बार- बार करते अनुशंसा ...

पुनः जगत में ख्याति पुरानी
स्थापित हो, ध्येय हमारा
नये वर्ष में नया सृजन हो
बने शांति, सौहार्द सहारा...

डाॅ. राजेन्द्र सिंह राही

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