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नवल वर्ष - Maniben Dwivedi (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

नवल वर्ष

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नवल वर्ष आया है द्वार

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नित नवल हृदय विश्वास जगे,आशाओं के दीप जले।

खुशियों की नव सौगात लिए,नवल वर्ष से गले मिले।


कैसे भूले कोई बीस भला,विश्व में जिसने तबाही मचाई।

धूमिल हो चले थे स्वप्न सभी, खो गए अधर के तरुनाई।


साहस का इक संचार लिए,खुशियों का नव संसार लिए

उन्नति का पथ करने प्रशस्त,ले कर खुशियों की शहनाई।


बिहस बिहस नव वधू समान,पुलकित मन लेता अंगड़ाई।

ओढ़ चुनर बिहसत प्रकृति,अनुपम शोभा है बिखराई 


विगत वर्ष के स्मृतियों को, हृदय पटल से भुला चलें।

लिए हृदय निज  नव उल्लास,करें वर्ष 21 की अगुवाई।


सच्चे मन की यही कामना,रहे ना कोई स्वप्न अधूरा।

मुस्कान सजे हर अधरो पर,हर चाहत हो जाए पूरा।


खुशहाली हो हरियाली हो,राह प्रगति की हो आसान।

भय का कहीं ना दिखे असर,किसानों को भी मिले सम्मान।


विगत वर्ष जो खोया हमने, हो जाए सब स्वप्न साकार।

सबका प्रभु करना उद्धार,  है  यही प्रार्थना बारंबार।


ले खुशियों की सौगातें आई,नवल वर्ष की बेला आई।

 मन के सभी विषाद मिटा कर, वर्ष इक्कीस की करें अगुवाई।।


मणि बेन द्विवेदी
वाराणसी उत्तर प्रदेश

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