कविताअतुकांत कविता
नव वर्ष -
नव उमंग, नव रंगों से
नव वर्ष का है अभिनंदन
जीवन में नव प्रत्याशा को
नव दिनकर का ,
नित प्रति वंदन
नव वर्ष का है अभिनंदन
हर किरण उजाला नव लाए
गमों की बदली छट जाए
बीते साल के कटु अनुभव भूल
नव उल्लास हर हृदय को हर्षाए
नव गीत प्रस्फुटित हो फिर से
मिट जाए जग का करुण क्रंदन
नव वर्ष का है अभिनन्दन
बीती साल न अधिक सुहानी थी
पर हमारी उच्छ्रंखलता पर
प्रकृति को भी लगाम लगानी थी
अब साफ हुआ नभ , जल, थल
कम हुआ हर जगह है प्रदूषण
नव वर्ष का है अभिनन्दन
निज स्वार्थ ,लिप्सा की पूर्ति को
दौड़ लगाते मानव के
थम गए कदम
और खिला
मशीनों में उलझा हुआ बचपन
नव वर्ष का है अभिनंदन
नव वर्ष में नूतन है आशा
सब करें परस्पर प्रेम
हों पूरी सब की अभिलाषा
जो सीख मिली ,स्वयं को जाने
बिखरे मूल्यों को पहचाने
अब उन्हें समेट करें
नव वर्ष का अभिनंदन ।
स्वरचित/मौलिक
वंदना चौहान
आगरा
sunder Bhaav.. !
आपका बहुत बहुत धन्यवाद 🙏