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आहट साजन की - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

आहट साजन की

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  • 3 Min Read

आहट सजन की

सजन के आने की आहट
ये बहारें दे रही हैं
हर सांस में अहसास तेरा
महका रही हैं हवाएं

ये धड़कने मेरी फ़िजा में
दे रही संदेस पी का
दर्पण भी मुझ पे हंस रहा है
बावरी सी हो गई मैं

कैसे सजू?कितना संवारु?
टीका बिंदिया बुँदे पहनू
गजरा कहीं ना भूल जाऊँ
सितारों से मांग भर लूँ

कंगना पायल और झुमका
करधूनी बाजूबंद कहाँ ?
मेहँदी महावर कब लगाऊं ?
झीनी चुनरिया ओड़ लूँ

कारे बदरा घिर घिर आए
बरखा रानी थोड़ा ठहरो
बाट जोहती दहलीज़ पर मैं
पिया का पथ यूँ ना रोको
सरला मेहता

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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

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