Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
मेरे चांद - Maniben Dwivedi (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

मेरे चांद

  • 203
  • 3 Min Read

मेरे चांद



हर दर पे सर झुंकाये
हर दहलीज पे दीप जलाए।
कहां कहां नहीं बांधा
मन्नत की घंटियां
सादिया गुज़ार दी
तुम्हारी तलाश में।
हर चौखट पे
मन्नत का धागा बांधा
तुम्हारी सलामती की प्रार्थना की
तुम कहीं भी रहो सलामत रहो।
दुनियां की हर ख़ुशी
तुम्हारे हिस्से में आए और
सफ़लता का आकाश
तुम्हारे क़दमों में
राहें तुम्हारी रौशन रहे
हर बालाओं से दूर
मेरे चांद
तुम चमकना सदैव
आशाओं के छितिज पर।
उम्मीदों के आसमान में।
और एक टुकड़ा
अपनी रौशनी का।
कर जाना मेरे नाम
कर जाना मेरे हिस्से।
#मणि बेन द्विवेदी
वाराणसी उत्तर प्रदेश

logo.jpeg
user-image
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg