Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
ग़ज़ल - Maniben Dwivedi (Sahitya Arpan)

कवितागजल

ग़ज़ल

  • 203
  • 4 Min Read

ग़ज़ल
******

मुहब्बत बन गई उनकी सजा है।
मुहब्बत पर लगा पहरा कड़ा है।

मनाया किस तरह रिश्तों को हमने।
अभी रूठा है वो माना कहां है।

कहीं हम टूट कर जाएं बिखर ना।
तुम्हारा प्यार अब महंगा पड़ा है।

भुलाऊं किस तरह यादें तुम्हारी।
तेरा एहसास ही दिल की दवा है।

भूलाना अब कहां मुमकिन है तुमको।
नशा चाहत का कुछ ऐसा चढ़ा है।

कहे थे लौट कर आऊंगा एक दिन।
तेरे वादे पे दिल अब भी अडा है।

पता तेरा ही सबसे पूछता है।
तुम्हे ही हर तरफ दिल ढूंढ़ता है।

जिसे।दिल ने कहा अपना ख़ुदा है।
वो मुझसे कह चला अब अलविदा है।

जिनके इश्क़ में दिल मर मिटा है।
सनम मेरा बड़ा वो बेवफ़ा है।

गुजारी उम्र जिसकी याद में ही।
नहीं बाक़ी कोई अब सिलसिला है।

मणि बेन द्विवेदी
वाराणसी उत्तर प्रदेश

logo.jpeg
user-image
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
चालाकचतुर बावलागेला आदमी
1663984935016_1738474951.jpg
वक़्त बुरा लगना अब शुरू हो गया
1663935559293_1741149820.jpg