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अच्छा हुआ - Sandeep Chobara (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

अच्छा हुआ

  • 175
  • 2 Min Read

चलो आखिरकार
ए-2020 !
तुम गुज़र ही गए
अच्छा हुआ!
तुम गुज़र ही गए....

क्या क्या नहीं छीना तूने
माँ से पुत्र, पुत्र से पिता
बहन से भाई, भाई से भाई
बहनों से उनका सुहाग
दोस्तों से दोस्त भी छीना
अपनों को अपनों से.......!

कुछ तो बचा रहेगा
21वें में भी मेरे पास
इतना ही बहुत है मेरे लिए
यही सहेज कर रखना होगा
हमें उम्र भर के लिए
अपनों के साथ.......!!

#SANDEEP चोबारा
फतेहाबाद
हरियाणा

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