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मखमली आँचल - Mamta Gupta (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

मखमली आँचल

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  • 5 Min Read

★★★★★★मखमली आँचल★★★★★

माँ तेरे मखमली आँचल की ठंडी प्यारी छाँव ...
हर पल रहता , आँचल से लिपटे रहने का चाव ...

माँ के चरणों में सारी दुनिया की जन्नत समाई ...
ईश्वर सभी को मिल नही सकता इसलिए माँ बनाई ...

जब थकान से पूरा शरीर हज़ार दर्द है देता ...
माँ का एक स्पर्श औषधि का काम है करता ...


अपने ममता के सायें में सुलाकर ...
सिर पर हाथ फेर लोरी सुनाती हजार ...

माँ कभी ना डाँटती , हमेशा प्यार से समझाती ...
नजर किसी की ना लगे , रोज काला टिका है लगाती ...

तेरे ही हाथों को थाम तूने ही चलना सिखाया है ...
मुश्किलों को कर परे , तूने ही उम्मीद का दिया जलाया है ...

तेरे होने से रात में भी हमेशा उजाला होता है ...
हो बच्चा माँ के गोद मे , मानो खुदा का सहारा होता है ...

तड़पती धूप में भी जो दे हमे छाव सुहानी ...
आँचल माँ का हर मर्ज की दवा है रूहानी

आज माँ का मखमली आँचल बहुत याद आता है ...
आज फिर ममता भरी छाँव में सोने को दिल चाहता है ...

ममता गुप्ता✍️

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