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आत्मविश्वास..... - अजय मौर्य ‘बाबू’ (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

आत्मविश्वास.....

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आत्मविश्वास.....

जब जब देखा तुम्हें
महसूस किया
तुम्हारे शरीर पर लगे
हरेक जख्म का दर्द।
ये दिल तुम्हारे लिए दुआ करता है
और चाहता है
उन्मुक्त गनन में विचरण करो तुम।
फिर नहीं होगी पीड़ा
उस जानवर की त्रासदियों से
जो सात वचनों में बांधकर
लाया था तुम्हें।
तुम भी उसके भरोसे
छोड़ आई थी अपना पीहर।
पहली रात को टूटा भरोसा
वर्षों बाद भी नहीं जुड़ सका।
तो तोड़ दो तुम भी
उसका यह विश्वास
कि तुम अबला हो।
नहीं जा सकती छोड़कर उसे।
पहचानो अपने अंदर की शक्ति को
निकालो पंख
नई उड़ान के लिए
और तोड़ दो पिंजरा
आत्मविश्वास के पंखों के सहारे
इसके बाद
सिर्फ खुद पर भरोसा रखो
और उड़ जाओ मुक्त गगन में।

अजय बाबू मौर्य ‘आवारा’

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