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जन्म जन्म का साथ है - Madhu Andhiwal (Sahitya Arpan)

कहानीलघुकथा

जन्म जन्म का साथ है

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जन्म जन्म का साथ -----
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शर्मा जी का भरा पूरा परिवार चार बेटे चार बहुयें । दोनों पति पत्नी बहुत खुश होते थे । रामरती तो कहती थी शर्मा जी हम दोनों का बुढ़ापा बहुत आराम से
बीतेगा । नाती पोते सब हमारे आस पास रहेगे । धीरे धीरे करके चारों बेटो की शादियाँ होगयी । रामरती के पैर तो जमीन पर ही नहीं पड़ते थे ।
पड़ोसी भी सोचते कितनी भाग्यशाली है। अब शर्मा जी भी रिटायर होगये थे। कहते हैं एक मछली ही सारे तालाब को गन्दा करती है। चौथे बेटे ने शादी अपनी पंसद से व बड़े घर की लड़की से कर ली बस होगया घर में महाभारत शुरू । अबतो तीनों बड़े लड़को ने भी रंग दिखाना शुरू कर दिया । रोज की कलह से तंग आकर शर्मा जी ने सबको अलग करने की सोची । पूरा हिस्सा बांट करने के बाद । अब शर्मा जी और राम रती को रखने की बात आई । चारों ने सोचा एक ही क्यों बोझ उठाये । चारों ने कहा मां को एक बेटा और शर्मा जी को दूसरा बेटा रखेगा ।
बस शर्मा जी ने कहा नालायको जीते जी हम दोनों को बांटना चाहते हो । ये जायदाद भी हमारे मरने के बाद तुम्हें मिलेगी ।हम तुम्हारे ऊपर आश्रित नहीं हैं। हम दोनों का जन्म जन्म का साथ है और साथ ही रहेगे ।
स्वरचित
डा.मधु आंधीवाल

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दादी की परी
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