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अंतिम प्यार..... - अजय मौर्य ‘बाबू’ (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

अंतिम प्यार.....

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अंतिम प्यार.....
समय की मोटी परत
जम गई है हमारे संबंधों पर
किंतु वे अनुभव
कभी नहीं भुला पाया
जो लगाव और व्याकुलता में
मैंने तुमसे ही पाए हैं
मेरा दिल फिर वैसा ही धड़का
तब तुम मेरे सामने आई
किंतु इस बार नहीं खोए
मेरे ये शब्द
तुम्ही हो मेरा पहला
और
अंतिम प्यार.....
अजय बाबू मौर्य ‘आवारा’

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