कविताअतुकांत कविता
नववर्ष
ए 2020 तु जल्दी से गुज़र जाए, तुने दी हैं हमें बहुत सी सजाएं,
क्या बिगाड़ा था इन्सान ने तेरा, जो ये तुने महामारी दी फैलाए ।
है दुआ आने वाला साल ढेरों सौगातें लाए, चारों ओर सुख-समृद्धि और वैभव की बाते सुनाएं।
छोड़ पतझड़ का साथ शाखों पर नई कोंपले निकलेगी, पुष्पों से लदी हर डाल होगी,
नव - शिशु सा कोमल, मधुर बिखरा हर सू राग होगा ।
अडिग धरा, अविरल सुर्य- चन्द्र , निश्छल प्राकृति है,
आने वाला पल विकास के संकल्प की कुछ नई परिभाषा सुनाए।
धरती पे होगी हरियाली, महकती हवा होगी, और साफ होगा पानी।
कुनकुनाती धूप होगी और गुनगुनाती होगी चांदनी प्यारी।
रूकेगी युवा शक्ति की बेलगाम दौड़ , टूटेगा चक्कर भ्रष्टाचार का,
राजनीति के स्वार्थ की अंधी जोड - तोड़ रूकेगी,आने वाले कल में कुछ नया दिखेगा। अब अज्ञानता, अंधविश्वास, चोरी-चकारी और दहेज प्रथा का अन्त होगा, साक्षरता का आगमन होगा।
सारे ग़मों और चिंताओं की राख झाड़ देंगे बीते वक्त की ऐश ट्रे में, बीते वर्ष की बातें भूला कर, लगाएंगे गले ने साल को।
पावन धरा पर धान लहलहाए, हरी - भरी हो सृष्टि। जन - जन में हो प्यार, मात-पिता से सब करें सादर नेह दुलार। रहे ना वैर - भाव किसी मे, आंतक का हो जाए अंत।
सरस्वती की कृपा रहे सब पर, गुरू जनों का मिले आशीश।
नैतिकता की सीखें परिभाषा, अच्छी बातें लिखें - पढ़ें, घर - घर पहुंचे शिक्षा का उजियारा, लेखन का नया इतिहास रचें।
मिलेगा नया मौका जीने का, फटा दामन सीने का,हर सू खुशदिल खुश चेहरे होंगे, ग़म के फिर ना पहरे होंगे।
सपने पूरे हों सभी के, निकले यही आवाज़ मन से। करे स्वागत नववर्ष का, हर सू हों नित नव काज।
ए दाता ग़र तु कर दे करम सब पर इतना तो काफी है सबके लिए नया साल, नया समां, नई खुशियां।
आने वाला साल ढेरों सौगातें लाए, चारों ओर सुख-समृद्धि और वैभव की बाते सुनाए।
मौलिक एवं स्वरचित
प्रेम बजाज, जगाधरी ( यमुनानगर )