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कविताअन्य
धोका ये सूरज हैं तुमको जुगनू बनाए रखेंगे माफ करेंगे और कर्जा बनाए रखेंगे। सहते रहना सितम पीढ़ी-दर-पीढ़ी साहब तुमको हमेशा गुलाम बनाए रखेंगे। रोटी का लालच देंगे काम का झांसा रैली, सभा, आंदोलनों में उलझाए रखेंगे। अजय बाबू मौर्य ‘आवारा’