Or
Create Account l Forgot Password?
कवितागजल
लॉकडाउन साहेब देखो बेखबर हर शख्स यहां दर-बदर। मीलों पैदल जाना है तब पहुंचेंगे अपने घर। हाथ खाली पैर में छाले पसीने से तर-बतर। आगे कैसे गुजरेगी बताने कोई मिले रहबर लाखों चल पड़े उस रस्ते जो न उनका रहगुजर।