कविताअतुकांत कविता
#२०२०
गत वर्ष,
अकेला,मदमाता
इसको भी पंक्ति को दे दो ।
बीता जाता जीवन
पल पल
उऋंखल,चंचल ,
गम्भीर ,सजल ।
यह बीता पल
यह आत्म विह्वल
इसको भी स्मृति को दे दो ।
वह जो आएगा अनाहूत,
वह विस्मय ,वह अद्भुत,
वह रहस्यगर्भ ,
वह नववर्ष,
उसको जीवन गति को दे दो।
वह हो शुभमय,
दे आशा विश्वास नवल,
दे आत्म गौरव,
नवस्फूर्ति ,नवबल,
उसको मेरा स्वागत दे दो ।
कनक हरलालका