कविताअतुकांत कविता
दिन महीने हफ्ते बीते
बीत गया यह साल ।
करु दुआ में हाथ जोड़कर
नव वर्ष में सब रहे खुशहाल।
नव वर्ष सभी में
स्फूर्ति लाए
खुशियों से जन-जन
को महकाए।
सभी सलामत
रहे सदा
सुख समृद्धि
बसे सदा ।
ना कोरोना का
डर सताए
ना फिर कोई
सड़क पर आए।
चहुं दिशि हो
हरित क्रांति
जन-जन में हो
सुख शांति।
ना किसी की
मांग उजड़े
ना किसी की
गोदी उजड़े।
ना कोई फिर
भूख से तरसे
ना कोई कुदरत का
कहर बरसे।
हे ईश्वर इस
नए साल को
देना ऐसा वरदान
ना किसी स्त्री
पर हो अत्याचार
ना छिने किसी बुजुर्ग
का आत्मसम्मान।
यही आस ले
बैठी अंजनी
खुशियों में लिपटी हो
यह रजनी।
जीवन से सबके
मिट जाए अंधकार
लाए खुशियां मन में हो
सभी के हर्ष अपार।।
अंजनी त्रिपाठी
गोरखपुर उत्तरप्रदेश