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कविताअतुकांत कविता
ख्वाहिश..... मेरे शब्द तो बार-बार मुस्कराना चाहते हैं तुम्हारे अधरों पर पर मैं जानता हूं यह कभी नहीं होगा शायद इसलिए मैं चाहता हूं नागफनी, बबूल और कांटे दर कांटे...... अजय बाबू मौर्य ‘आवारा’