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कविताअतुकांत कविता
तस्वीर.... मैंने कभी सोचा नहीं तुम कोमल हो या सुकोमल मैंने तो अनुभव किए तुम्हारे अंतर्मन के रंग और उनकी तरल संगीतमयता इसलिए मैं नहीं चाहता जिस्म के कैनवास पर कोई तस्वीर बनाना तुम्हें दिल के कैनवास पर अंकित करना चाहता हूं.... अजय बाबू मौर्य ‘आवारा’